Child Devlopment in Hindi online mock test 5
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Choncept of Child Centerd and Progressive Education " Online mock Test"
Jac Ranchi Tet Exame 2020-21
बाल केन्दित शिक्षा प्राचीन काल से ही भारत मेँ शिक्षा को आत्मज्ञान और आत्म-प्रकाशन का साधन माना जाता है । भारतीय मनीषियों ने शिक्षा का अर्थ के संबंध में कहा है कि शिक्षा मनुष्य में छिपी हुई क्षमताओं को विकसित कर वास्तविक धरातल पर लाने में सहायता करती है । शिक्षा का अर्थ है कि मनुष्य में पहले से ही कुछ सामर्थय किसी न किसी रूप में विद्यमान रहती हैं । शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य में विद्यमान सर्वोत्तम गुणों को बाहर निकाला जाता है और उसकी छिपी हुई क्षमताओं को प्रकट किया जाता है । किन्तु आधुनिक शिक्षा में बालकों के सर्वागीण विकास पर जोर दिया जाता है । आज की शिक्षा पद्धति बाल केन्दित है । वैयक्तिक विभिन्नता के कारण इसमें प्रत्येक बालक की ओर अलग से ध्यान दिया जाता है । आधूनिक शिक्षा व्यवस्था में बालक की वैयक्तियता को ध्यान मे रखते हुए उसकी आवश्यकताओं, अभिरूचियों और योग्यताओं का पूरा ध्यान दिया जाता है । शिक्षक बालकों के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाकर उन्हें मदद करते हैं। परम्परागत शिक्षण में पाठयक्रम कं आधार पर शिक्षा दिया जाता था लेकिन आज की बाल मनोविज्ञान पर आधरित शिक्षा में ’छात्र कंन्दित विधि कं आधार पर ध्यान दिया जाता है । इसमें बालक शिक्षण आघिगम प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु होता है, जिसके चारो और सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया घूमती है । बच्चों ने वास्तव में क्या सीखा इस पर ध्यान दिया जाता है । इस प्रक्रिया में शिक्षक कं साथ अभिभावक, समुदाय, सहयोगियों से भी सहायता ली जाती है । वाल केन्दित उपागम, बालकों के लिए उपयोगी होता है । शिक्षक के लिए यह एक चुनौतिपूर्ण कार्य भी है, क्योकि उन्हें हर एक बालक की विशेषताओं पर ध्यान देना पडता है । साथ ही, शिक्षकों को पिछडे हुए, समस्याग्रस्त, विकलांग, मन्दब्रुद्धि तथा प्रतिभाशाली बालकों के लिए अलग से पाट्यक्रम भी बनाना पडता है । शिक्षक को केवल शिक्षा एवं पद्धति के बारे में ही नहीं बल्कि बालक के बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी होता है कि वह बालक कहॉ तक बिकास कर सकता है । इस तरह बेहत्तर छात्र निष्पादन
के लिए शिक्षक की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती है ।
Child Development
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